कोलकाता के ‘रेल उत्सव’ में श्री प्रशांत कुमार मिश्रा की भारतीय रेलवे पर लिखी दो पुस्तकों का विमोचन
Release of Two Books on Indian Railways
Release of Two Books on Indian Railways: श्री प्रशांत कुमार मिश्रा, महाप्रबंधक, आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना रायबरेली, ने ईस्ट इंडियन रेलवे (EIR) की विरासत पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी और अपनी दो प्रतीक्षित पुस्तकें “द हाईवे ऑफ हिंदोस्तान: द ईस्ट इंडियन रेलवे (1841-1871)” और “ट्रैक्स ऑफ नेसेसिटी: रेलवे, फेमाइन एंड एम्पायर इन डेक्कन” लॉन्च कीं। यह कार्यक्रम रेल उत्सव के तहत कलकत्ता यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट, कोलकाता में रेल उत्साही समाज (रेल इंथुजियास्ट सोसाइटी) द्वारा आयोजित किया गया था।
“द हाईवे ऑफ हिंदोस्तान: द ईस्ट इंडियन रेलवे (1841-1871)” ईस्ट इंडियन रेलवे के प्रारंभिक वर्षों का सबसे व्यापक और प्रामाणिक इतिहास प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक पूरी तरह प्राथमिक स्रोतों पर आधारित है और दिखाती है कि कैसे इस रेलवे की स्थापना साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा से राष्ट्रीय परिवर्तन तक पहुँची। इसमें इंजीनियरिंग चमत्कार, औपनिवेशिक राजनीति, भूले-बिसरे मजदूरों और दूरदर्शी सुधारकों के जीवन को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह केवल ट्रेनों की कहानी नहीं है, बल्कि साम्राज्य, प्रतिरोध और उस लोहे की रेल की कहानी है जिसने पूरे उपमहाद्वीप को जोड़ा।
“ट्रैक्स ऑफ नेसेसिटी: रेलवे, फेमाइन एंड एम्पायर इन डेक्कन” दक्षिणी मराठा रेलवे (SMR) और वेस्ट ऑफ इंडिया पुर्तगाली गारंटीड रेलवे (WIPGR) का विस्तृत इतिहास बताती है। कठिनाइयों के बीच जन्मी दक्षिणी मराठा रेलवे केवल लोहे की पटरी नहीं थी, बल्कि गरीब समुदायों के लिए जीवनरेखा साबित हुई। इसे एक विशाल “फूड फॉर वर्क” परियोजना के रूप में विकसित किया गया और यह औपनिवेशिक भारत की सबसे गतिशील रेलवे प्रणालियों में से एक बन गई। साथ ही, WIPGR ने ब्रिटिश भारत को पुर्तगालियो के अधीन स्थित गोवा से जोड़ा, धारवाड़ के कपास खेतों से मर्मुगाओ के गहरे बंदरगाह तक को जोड़ा। पुस्तक में भूले-बिसरे अभिलेखों के माध्यम से उस युग की महत्वाकांक्षा, राजनीतिक समझौते, मेहनती इंजीनियरो और धनी निवेशकों की कहानियाँ जीवंत रूप में प्रस्तुत की गई हैं। यह बताती है कि कैसे लोहे की पटरी ने अकाल-ग्रस्त क्षेत्रों, अलग-अलग उपनिवेशों और महत्वाकांक्षी सपनों को जोड़कर भारतीय उपमहाद्वीप की पहली रेलवे प्रणाली बनाई।
भारतीय रेलवे सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और रेलवे इतिहास लेखक पी. के. मिश्रा ने कहा कि भारतीय रेलवे के विकास में पूर्व रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भारत में सबसे शुरुआती दौर में इस इलाके में रेल लाइनें बिछी, ट्रेनें चलीं। पूर्वी रेलवे तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करते हुए अस्तित्व में आया और संबर्धित व विकसित हुआ। श्री मिश्रा कोलकाता में आयोजित रेल उत्सव में आयोजित एक व्याख्यानमाला में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। पी.के. मिश्रा आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना, रायबरेली के महाप्रबंधक हैं। वे कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री के महाप्रबंधक के अतिरिक्त प्रभार में भी हैं। संगोष्ठी में उन्होंने पूर्व रेलवे के निर्माण, इतिहास और विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी रेलवे ने महत्वपूर्ण रोल अदा किया है।श्री मिश्र ने रेलवे के इतिहास से संबंधित कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला। कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारियों से रेल अधिकारियों को अवगत कराया।
बता दें कि पीके मिश्र आसनसोल, मालदा और अलीपुरद्वार मंडल के डीआरएम रह चुके हैं। उन्होंने रेलवे के इतिहास पर महत्वपूर्ण शोध किया है। अपने विभिन्न स्थानों पर पदस्थापना के दौरान रेलवे के प्राचीन इमारतों और महत्वपूर्ण प्रतीकों को सजाने- संवारने के महत्वपूर्ण काम भी इन्होंने किया है।
रेलवे उत्साही, इतिहासकार और उपस्थित छात्र पुस्तकों की गहन शोध और आकर्षक शैली की सराहना करते हुए नजर आए।
इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे: श्री संजय मुखर्जी (सेवानिवृत्त सदस्य, वित्त रेलवे बोर्ड), श्री वी. एन. माथुर (अध्यक्ष, रेल इंथुजियास्ट सोसाइटी), श्री एस. एस. डे (सचिव, पब्लिशर्स गिल्ड) एवं श्री जस्टिस एस. पाल (अध्यक्ष,CUI), श्री विशाल कपूर (डीआरएम हावड़ा), श्री अतुल्य सिन्हा (रेल साहित्य विशेषज्ञ), सुश्री आशीमा मेह्रोत्रा (एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर/हेरिटेज रेलवे बोर्ड), श्री सौरसंखा माजी (रेल शोधकर्ता और रेल इंथुजियास्ट सोसाइटी सदस्य), श्री सचिन सुशील (फिल्म निर्देशक), श्री देबाशीष मुखोपाध्याय, श्री आशाद सिद्दीकी (प्रसिद्ध रेलवे क्विज़ मास्टर), श्री यतीश कुमार (मुख्य कार्यशाला प्रबन्धक लिलुआह वर्कशॉप), श्री सत्येंद्र नाथ तिवारी (वरिष्ठ डिविजनल मैकेनिकल इंजीनियर हावड़ा), श्री आर. एन. तिवारी (सचिव/महाप्रबंधक और मुख्य जनसंपर्क अधिकारी एमसीएफ), श्री अनिल कुमार श्रीवास्तव (जन संपर्क अधिकारी एमसीएफ), श्री अभिजित बरुआ (कॉमर्शियल इंस्पेक्टर ईस्टर्न रेलवे), और श्री अमितेश कुसवाहा (प्रोटोकॉल इंस्पेक्टर)।
‘रेल उत्सव’ में इन पुस्तकों का विमोचन भारतीय रेलवे की समृद्ध विरासत और इसके देश के इतिहास पर परिवर्तनकारी प्रभाव की निरंतर रुचि को उजागर करता है।